बुधवार, 29 अगस्त 2007

जोगी दस के चौके

जीवन मे रंग घोल दे, वो शाम कहां है
दिल को सुकून दे, वो इन्‍तजाम कहां है
कल शिल्‍पा शेट्टी से मैंने शाम को पूछा
अब गेर के संग अगला प्रोग्राम कहां है ।

हर उम्र में भड.के हुये जज्‍.बात मिलेंगे
बीमार दिल के लोग, साथ साथ मिलेंगे
लैला के घर के पास में, मजनूं का प्‍लॉट है
जूली जहां भी होगी, मटुकनाथ मिलेंगे ।


इस वक्‍त की धारा ने, सिकन्‍दर बहा दिये
चाहत की सुनामी ने, कई घर बहा दिये
अभिषेक ऐश साथ, हनीमून पर गये
सलमान ने रो रो के समन्‍दर बहा दिये

आजकल तितलियां फूलों से दूर बैठी हैं
बेटियां बाप से पाले गुरूर बैठी हैं
न पूछो किसकी यहां कितनी शादियां होंगी
हमारे घर में एकता कपूर बैठी हैं ।


होण्‍डा सिटी लाया तो खटारा समझ लिया
शादीशुदा हूं मुझको कुंवारा समझ लिया
मैं अपनी बीवी लेके स्‍पेन जा रहा था
लोगों ने बाबू भाई कटारा समझ लिया ।


कुरसी पे बैठते ही चमत्‍कार करा दें
सालों से बना दबदबा बेकार करा दें
एम.पी. भी हो तो बहन जी से मिलने न जाना
ऐसा न हो बुला के गिरफ्तार करा दें ।


मुझे हास्पिटल में गुलाब आ रहे हैं
सुबह शाम नर्सों के ख्वाब आ रहे हैं
जिन्हें खत लिखे थे जवानी में मैंने
जवानी में उनके जवाब आ रहे हैं ।

कोठे में जो पडे थे, वो कोठी में आ गये
भूखे थे चार दिन के वो रोटी में आ गये
इक बार मल्लिका से मिल के, ये हुआ असर
कि बाबा रामदेव लंगोटी में आ गये

सरकारों में रोज घोटाले, होते तो फिर क्‍या होता
लिखते लिखते कागज काले, होते तो फिर क्‍या होता
केवल दो सालों ने उनकी, नाक में दम कर रक्‍खा है
लालू जी के नौ दस साले, होते तो फिर क्‍या होता ।

हमारी मोहब्‍बत का अफसाना होता
शहर अपनी चाहत का दीवाना होता
अगर प्रेम पत्रों में पत्‍थर न भरते
न तुम कानी होती, न मैं काना होता

DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
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